फेलिन तूफान

बंगाल की खा़डी में 11 अक्टूबर 2013 को उठे उष्णकटिबंधीय चक्रवात को फेलिन नाम दिया गया है। फेलिन का अर्थ सफायर (नीलम) होता है। ये शब्द थाइलैंड का है। जापान के मौसम विज्ञान विभाग ने 4 अक्टूबर को इसे थाइलैंड की खाड़ी में मॉनिटर करना शुरू किया। इसके बाद पश्चिमी पैसिफिक बेसिन होता हुआ अंडमान सागर पहुंचा। अंडमान द्वीप के मायाबंदर होते हुए फेलिन बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ गया। यहां इसे मॉनिटर करने के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसे फेलिन नाम दिया। देश में पिछले 14 वर्ष में आया यह सबसे ब़डा चक्रवाती तूफान है। फेलिन से ज्यादा लोग हताहत तो नहीं हुए, लेकिन यह अपने पीछे बड़ी तबाही के निशान छोड़ गया है। फेलिन से हुआ नुकसान बता रहा है कि अगर सही समय पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंचाया जाता, तो यह 1999 में ओडिशा में तबाही मचाने वाले चक्रवात से कहीं ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकता था। फेलिन के कारण सबसे ज्यादा नुकसान ओडिशा के तटवर्ती जिलों और खासकर गंजाम में हुआ। आंध्र प्रदेश में भी तूफान ने अपना असर छोड़ा है। दोनों राज्यों में अब 23 लोगों के मारे जाने की सूचना है।


इस प्रकार मचाई तबाही
ओडिशा के राजस्व मंत्री एएसन पात्रो ने बताया कि राज्य के 12 जिलों में 14 हजार 514 गांवों के 80 लाख से ज्यादा लोग फेलिन से प्रभावित हुए हैं। तूफान से दो लाख 34 हजार मकानों को नुकसान पहुंचा है और 8.73 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। राज्य के पांच लाख हेक्टेयर में 2,400 करोड़ रुपये की फसलें नष्ट हो गई हैं। सही समय पर अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान चलाकर लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था, वरना हताहतों की संख्या बहुत ज्यादा हो सकती थी। ओडिशा के गोपालपुर में जब हवाओं की रफ्तार 220 किमी प्रति घंटा पहुंची, तो सभी दूरसंचार माध्यमों ने काम करना बंद कर दिया था। पनामा का मालवाहक जहाज एमवी बिंगो आठ हजार टन लौह अयस्क के साथ डूब गया। हालांकि, चालक दल के सभी सदस्य लाइफवोट के जरिये सुरक्षित बच निकले। ओडिशा में अभियान चलाकर 8.73 लाख लोगों को जोखिम वाले इलाकों से निकाल लिया गया था। आंध्र प्रदेश में एक दीवार ढहने से एक 60 वर्षीय बुजुर्ग और राहत शिविर में एक 27 वर्षीय युवक की मौत हो गई। श्रीकाकुलम, विजयनगर और विशाखापत्तनम के राहत शिविरों में करीब डेढ़ लाख लोगों को शरण दी गई। यहां भी करोड़ों की फसल का नुकसान हुआ है।

कैसे होती है उत्पत्ति
ऐसे चक्रवात की उत्पति नम हवा के ऊपर उठने एवं उसमें मौजूद जलवाष्प के संघनन से होती है। इसके कारण शक्तिशाली हवाएं उठती हैं और मूसलाधार बारिश होती है। हवा का वेग इतना ताकतवर होता है कि यह समुद्र के तटवर्ती इलाकों में भारी तबाही मचाता है। इसकी वजह से तट से 40 किलोमीटर की दूरी तक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।उष्णकटिबंधीय चक्रवात की तीव्रता को हवा की रफ्तार के हिसाब से अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब हवा की रफ्तार 62 से 87 किमी प्रति घंटा की होती है तब इसे चक्रवाती तूफान कहा जाता है। यही रफ्तार जब 88 से 117 किमी प्रति घंटे की होती है तब इसे गंभीर चक्रवाती तूफान माना जाता है। जब हवा की रफ्तार 118 से 221 किमी प्रति घंटा होती है तब इसे अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान कहलाता है और जब हवा की रफ्तार 222 किमी प्रति घंटा को पार करती है तब इसे सुपर चक्रवाती तूफान कहा जाता है। फेलिन को इसी श्रेणी में रखा जा रहा है।
तूफान को मापने वाले साफिर-सिम्पसन स्केल के अनुसार तूफान की रफ्तार की गंभीरता को पांच श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में हवा की रफ्तार 119-153 किमी प्रति घंटा, दूसरी श्रेणी में 154-177 किमी प्रति घंटा, तीसरी श्रेणी में 178-208 किमी प्रति घंटा, चौथी श्रेणी में 209-251 किमी प्रति घंटा और 252 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली हवा को पांचवी श्रेणी में रखा गया है। अगर तुलना करें तो फेलिन चक्रवात को चौथी श्रेणी में रखा जा सकता है।

ऐसे दिया जाता है नाम
चक्रवाती तूफान फेलिन का नाम थाई शब्द फेलिन से पड़ा, जिसका मतलब होता है सफायर यानी नीलम का पत्थर। फेलिन एशियाई देशों की ओर से भेजे गए चक्रवाती तूफानों के नाम की सूची का फर्स्ट सेट का आखिरी नाम है। यह नाम थाईलैंड की ओर से दिया गया है। इसी कड़ी में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले अगले चक्रवाती तूफान का नाम हेलन होगा। यह नाम बांग्लादेश ने दिया है। चक्रवातों का नाम देने की परंपरा कुछ समय पहले शुरू हुई ताकि इसकी तुरंत पहचान हो सके और समय रहते राहत-बचाव का कार्य किया जा सके। दिल्ली स्थित मेट्रोलॉजिकल सेंटर चक्रवाती तूफानों को नाम देता है। यह नाम बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, और थाईलैंड की ओर से प्रस्तावित किए जाते हैं। यह प्रक्रिया अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों की पहचान के लिए अपनाया जाता है।

भारत में इसके पहले आए पांच बड़े चक्रवाती तूफान
1. 11 नंवबर 1970 को पूर्वी पाकिस्तान और भारत के पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से में आए दुनिया के सबसे विनाशकारी चक्रवाती तूफान भोला में लगभग पांच लाख लोगों की मौत हुई थी। हजारों जानवर मारे गए और लाखों पेड़ नष्ट हो गए थे। इस तूफान में हवा की रफ्तार लगभग 300 किमी प्रति घंटे की थी।

2. 9 नवंबर 1977 को आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में आए तूफान ने भी जबरदस्त तबाही मचाई। इस तूफान में करीब 10 हजार लोग मारे गए थे।

3. 29 अप्रैल 1991 को बांग्लादेश में एक बार फिर 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफान आया था। इसके कारण समुद्र में छह मीटर ऊंची लहर उठी थी जिसने चिटगांव में सबसे ज्यादा तबाही मचाई। इस तूफान में लगभग डेढ़ लाख लोग मारे गए।

4. 25 अक्टूबर 1999 को बंगाल की खाड़ी में उठे दूसरे सबसे भयानक तूफान ने उड़ीसा में भयंकर तबाही मचाई। यह पांचवी श्रेणी का तूफान था, जिसने समुद्र तट से 20 किमी अंदर तक प्रभाव डाला। सबसे भयंकर तबाही जगतसिंह पुरा जिले में हुई। आठ मीटर ऊंची लहर अपने साथ सबकुछ बहाकर ले गई। इस प्राकृतिक आपदा में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

5. 27 अप्रैल 2008 को म्यांमार में आए नरगिस तूफान ने करीब डेढ लाख लोगों की जिंदगी लील ली। चौथी श्रेणी के इस तूफान में हवा की रफ्तार 215 किमी प्रति घंटे थी।

Focus Story

क्या है नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का सच, क्यों मचा है बवाल

 CAA (नागरिकता संशोधन कानून, 2019) को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया, जिसमें 125 मत पक्ष में थे और 105 मत विरुद्ध। यह बिल पास हो गया और इस विधेयक को 12 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिल गई। 

सिक्किम का पेकयोंग एअरपोर्ट

 यह भारत का 100 वां एअरपोर्ट है और सिक्किम का पहला. यह ऊँचाई पर बना भारत के पांचवें एअरपोर्ट में से एक है. यह भारत चीन सीमा से 60 किमी की दूरी पर स्थित है. इस एअरपोर्ट के बनने के पहले सबसे निकटतम एअरपोर्ट पश्चिम बंगाल का बागडोगरा एअरपोर्ट 124 किमी की दूरी पर था. यह गंगटोक के दक्षिण में 35 किमी की दूरी पर स्थित है. इसका उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 सितम्बर 2018 को किया.

आयुष्मान भारत और निरामयम् योजना

 मध्यप्रदेश में 23 सितम्बर से आयुष्मान भारत योजना लागू हो गई है। प्रदेश में यह योजना आयुष्मान मध्यप्रदेश निरामयम् के नाम से लागू की गई है। योजना से प्रदेश के लगभग 1 करोड़ 37 लाख परिवारों को हर साल 5 लाख रूपये का नि:शुल्क कैशलेस स्वास्थ्य सुरक्षा कवच मिल गया है।

लोकपाल विधेयक

राज्यसभा में पारित होने के बाद लोकपाल विधेयक १८ दिसंबर को लोकसभा में भी पारित हो गया है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून के रूप में सामने आ जाएगा।लोकपाल के दायरे में एक मामूली सरकारी कर्मचारी से लेकर प्रधानमंत्री तक को लाया गया है।

भारत रत्‍न

 भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है भारत रत्न। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। 

सीरिया का संकट

सीरिया में आज गृहयुद्ध के हालात हैं जिसे हम सीरियाई संकट भी कह सकते हैं| इसका मुख्य कारण है 1963 से चले आ रहे "बाथ पार्टी" के शासन का अंत करने के लिए पार्टी विरोधियों का विद्रोह| विरोधियों की प्रमुख माँगों में से एक माँग है राष्ट्रपति बशर अल असद का पद से त्याग पत्र, जो कि 1971 से सत्ता में हैं|

फेलिन तूफान

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